महाराष्ट्र के जलगांव में लगातार हो रही बारिश से कपास की फसलों को हुआ भारी नुकसान, किसान परेशान
महाराष्ट्र के जलगांव और नंदुरबार समेत कई जिलों में भारी बारिश के कारण कपास की फसल में कम से कम 50 से 60 प्रतिशत का नुकसान हुआ है. -
September 20, 2021 महाराष्ट्र के जलगांव जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण कपास की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. अत्यधिक बारिश के चलते कपास के साथ-साथ आम और अन्य फलों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है. इस समय जो कपास बाजार में बिक रहा है, वह बारिश में खराब हो चुके हैं. जलगांव के खानदेश क्षेत्र में केवल कपास की फसल अच्छी स्थिति में थी. लेकिन यह फसल भी भारी बारिश की चपेट में आ गई. इससे पहले जून और जुलाई में हुई बारिश से उड़द और हरा चना समेत अन्य फसलें प्रभावित हुई थीं. बारिश की वजह से फसले खराब होने के बाद किसानों को दो बार बुवाई करनी पड़ी थी.
क्या कहना हैं किसानो का?
अगस्त के अंत तक प्री-सीजन कपास की फसल की बिक्री शुरू होने की उम्मीद थी. लेकिन अगस्त और अब सितंबर में हो रही लगातार बारिश ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। जलगांव, धुले और नंदुरबार जिलों में पिछले कुछ दिनों से रोजाना बारिश हो रही है. इससे फसलों की स्थिति और भी खराब हो गई है. कुछ क्षेत्रों में उड़द और हरे चने की कटाई की जा रही है. सोयाबीन की फसल आ रही है. लेकिन बारिश शुरू होने के कारण कटाई, थ्रेसिंग आदि बंद है. किसान थक चुके हैं, क्योंकि फसल हाथ से जा रही है. फसल की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही है.
किस जिले में कितने हेक्टेयर में कपास की बुआई की गई
खानदेश क्षेत्र में प्रमुख फसल कपास है. जलगांव जिले में करीब पांच लाख 18 हजार हेक्टेयर, धुले में दो लाख 20 हजार हेक्टेयर और नंदुरबार में एक लाख 14 हजार हेक्टेयर में कपास की बुआई हो चुकी है. पूर्व-मौसम कपास की फसल का रकबा लगभग एक लाख हेक्टेयर है. रोपाई का काम मई के अंत और जून के पहले सप्ताह में किया गया था.
किस राज्य में सबसे ज्यादा कपास का उत्पादन किया जाता है
सबसे ज्यादा कपास का उत्पादन गुजरात में होता है, जहां पर काली मिट्टी ज्यादा पाई जाती है. गुजरात के बाद महाराष्ट्र में भी बड़े पैमाने पर कपास का उत्पाद किया जाता है.
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