भारी बारिश से फसल को नुकसान के बावजूद बढ़ सकता है कपास की खेती का एरिया, जानें कारण

महाराष्ट्र में अत्यधिक बारिश की वजह से कुल खरीफ फसल का करीब 8।5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान हुआ है -


August 02, 2022 : हाल के दिनों में देश के कुछ कपास उत्पादक राज्यों में हुई भारी बारिश से कपास की फसल को नुकसान की आशंका जताई जाने लगी है। हालांकि जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में हुई भारी बारिश के बावजूद कपास के रकबे में ज्यादा गिरावट नहीं होगी क्योंकि किसानों के पास अभी भी कपास की दोबारा बुआई करने का मौका है। एक अनुमान के मुताबिक महाराष्ट्र में अत्यधिक बारिश की वजह से कुल खरीफ फसल का करीब 8।5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान हुआ है। हालांकि, वास्तविक रिपोर्ट का आना अभी बाकी है। बता दें कि महाराष्ट्र में ज्वार, तुअर और अन्य के साथ कपास और सोयाबीन खरीफ की बड़ी फसल है।
ओरिगो कमोडिटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजीव यादव के मुताबिक महाराष्ट्र में खरीफ के तहत 157 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है और अगर इसके मुकाबले राज्य में कपास की कुल बुआई 42.81 लाख हेक्टेयर को लें तो भारी बारिश की वजह से करीब 2.3 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल को नुकसान हो सकता है। उनका कहना है कि कपास की फसल को हुआ नुकसान इस साल के लिए हमारे द्वारा लगाए गए बुआई के अनुमान 125-126 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल की तुलना में नगण्य है।
फसल खराब होने पर दोबारा बुआई की संभावना
राजीव यादव कहते हैं कि कपास का क्षेत्रफल अभी भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा रहेगा। उनका कहना है कि जुलाई में कम या भारी बारिश की वजह से अगर फसल खराब भी हो जाती है, तो भी किसानों द्वारा हमेशा दोबारा बुआई की गुंजाइश बनी रहती है और ताजा मामले में ऐसा ही हो रहा है। हालांकि अगर महीना सितंबर या अक्टूबर होता तो स्थिति कुछ और होती। उनका कहना है कि मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक कपास उत्पादक क्षेत्रों में अगले 5 दिनों में छिटपुट से लेकर कम बारिश होने का अनुमान है, जो कि फसल की प्रगति के लिए अच्छा रहेगा। इसलिए फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है।
वैश्विक उत्पादन अनुमान में कटौती
कॉटलुक ने अपने नवीनतम अपडेट में अमेरिका और ब्राजील में कम उत्पादन की वजह से 2022-23 के लिए वैश्विक कॉटन उत्पादन के अनुमान को 6,24,000 टन घटाकर 25.7 मिलियन मीट्रिक टन कर दिया है। सूखे की वजह से अमेरिका में उत्पादन थोड़ा कम रहने की आशंका है। खासकर अमेरिका के सबसे बड़े कॉटन उत्पादक राज्य टेक्सास में उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है, जिसकी वजह से उपज पर असर पड़ेगा। अमेरिका में कॉटन का उत्पादन 3.1 मिलियन मीट्रिक टन रहने का अनुमान है जो कि पूर्व के अनुमान 3.5 मिलियन मीट्रिक टन से कम है। भारत और चीन में कॉटन का उत्पादन क्रमशः 6 मिलियन मीट्रिक टन और 5.8 मिलियन मीट्रिक टन पर स्थिर रहने का अनुमान है। वहीं वियतनाम से मांग में कमी की वजह से 2022-23 में वैश्विक खपत के अनुमान को 1,50,000 टन घटाकर 25 मिलियन मीट्रिक टन कर दिया गया है।
कपास की बुआई में हल्की बढ़ोतरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 29 जुलाई 2022 तक देशभर में कपास की बुआई 117।65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की 111।2 लाख हेक्टेयर की तुलना में 5 फीसदी ज्यादा है। राजीव यादव के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में देश में कपास का रकबा 4 से 6 फीसदी बढ़कर 125-126 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है। उनका कहना है कि चूंकि पिछले दो साल से किसानों को कपास में अच्छा पैसा मिला है और सोयाबीन की कीमतों में आई हालिया तेज गिरावट किसानों को कपास की बुआई करने के विकल्प का चुनाव करने के लिए प्रोत्साहित करने का काम करेगी।
कपास की आवक बेहद कमजोर
देशभर के प्रमुख हाजिर बाजारों में कपास की आवक शुक्रवार को घटकर 1,700 गांठ (1 गांठ = 170 किग्रा) दर्ज की गई थी, जबकि गुरुवार को आवक 2,100 गांठ थी। कुल मिलाकर गुजरात में करीब 700 गांठ और महाराष्ट्र में लगभग 1,000 गांठ आवक हुई थी। हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कोई आवक दर्ज नहीं की गई थी।


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