केंद्र ने 5 दिन में फसल बीमा क्लेम जारी करने का दिया निर्देश, 72 गांवों के किसानों को होगा सीधा फायदा
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस (आरजीआई) को पांच दिनों के भीतर दावा भुगतान देने के लिए पत्र लिखा है. आरजीआई ने ही जिले में कपास किसानों को बीमा कवर दिया था. -
February 05, 2024 हरियाणा के हिसार जिले के किसानों के लिए खुशखबरी है. लगभग एक महीने के संघर्ष के बाद केंद्र सरकार ने बीमा कंपनी को पांच दिनों के भीतर उनके फसल क्लेम को जारी करने का निर्देश दिया है. इससे किसानों के बीच खुशी की लहर है. कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से 72 गांवों के किसानों को सीधा फायदा होगा. वहीं, किसानों ने कहा कि जब तक प्रभावित लोगों के बैंक खातों में क्लेम जारी नहीं किया जाता तब तक वे लघु सचिवालय से पक्का मोर्चा नहीं हटाएंगे. उन्होंने अपनी मांगें नहीं माने जाने पर आठ फरवरी को राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने का भी आह्वान किया है.
दरअसल, इन 72 गांव के किसान 2022 के खरीफ सीजन में कपास की फसल के नुकसान के लिए बीमा क्लेम जारी करने की मांग काफी लंबे समय से कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने काफी धरना- प्रदर्शन किया. तब जाकर सरकार ने उनकी मांग मानी है. लेकिन अभी भी किसान लघु सचिवालय से अपना धरना हटाने को तौयार नहीं है. उनका कहना है कि तब तक खाते में क्लेम की राशि नहीं आ जाती है, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.
11 सितंबर को लिखा था पत्र
वहीं, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस (आरजीआई) को पांच दिनों के भीतर दावा भुगतान देने के लिए पत्र लिखा है. आरजीआई ने ही जिले में कपास किसानों को बीमा कवर दिया था. उसने 11 सितंबर को मंत्रालय को एक पत्र लिखा था, जिसमें दो फसल सत्रों के समापन के बाद किसानों के विवरण को सत्यापित करने में असमर्थता व्यक्त की गई थी.
146 करोड़ रुपये दावे की मांग
मंत्रालय के पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 22 जनवरी को इन गांवों के प्रौद्योगिकी-आधारित बोए गए क्षेत्र का अपेक्षित विवरण फर्म के साथ साझा किया था. का जा जा रहा है कि 72 गांवों के लगभग 20,000 किसान 2022 में कपास की फसल के नुकसान के लिए 146 करोड़ रुपये के दावे की मांग कर रहे हैं. लेकिन मेरी फसल, मेरा ब्योरा (एमएफएमबी) पोर्टल पर राजस्व विभाग के आंकड़ों के साथ मिलान नहीं होने के कारण फर्म ने दावों को रोक दिया है.
28,444 हेक्टेयर में कपास की खेती
जबकि एमएफएमबी डेटा से पता चलता है कि इन गांवों में कपास के लिए पीएमएफबीवाई के तहत 30,873 हेक्टेयर का बीमा किया गया था. राजस्व विभाग ने सत्यापित किया कि इन गांवों में कपास के तहत 16,554 हेक्टेयर भूमि थी. सूत्रों ने कहा कि HARSAC रिपोर्ट में बताया गया है कि इन गांवों में 28,444 हेक्टेयर में कपास की फसल थी. चूंकि, एमएफएमबी पोर्टल (30,873 हेक्टेयर) और HARSAC रिपोर्ट (28,444 हेक्टेयर) के डेटा के बीच ज्यादा अंतर नहीं है. इसलिए मंत्रालय ने फर्म को दावे जारी करने का निर्देश दिया है.
Most viewed
- Indian Cotton Exports Soar: Projections Reach 22-25 Lakh Bales for 2023-24 Season
- Godrej Agrovet’s crop protection biz unit launches pilot to reach out to cotton growers
- India’s cotton panel CCPC estimates higher crop, export and consumption
- जिरायती कापसाचे पीक यंदाही तोट्यातच
- Cotton Declined After CCPC Increased Crop Production For The Current Season
- Cotton production report 2024 – कॉटन के उत्पादन अनुमान में 5.30 फीसदी की बढ़ोतरी, 309.70 लाख गांठ की उम्मीद
- यंदाच्या हंगामात 25 लाख क्विंटल कापसाची आवक, कोणत्या बाजार समितीत किती आवक?
- महाराष्ट्र की इस मंडी में 8300 रुपये क्विंटल हुआ कॉटन का दाम, क्या कह रहे हैं किसान
- किसान इस समय पर करें कपास की बिजाई, कृषि विभाग ने दी किसानों को सलाह
- Picking underway for Australian cotton with above average crops expected: Cotton Australia
Short Message Board
Cotton Live Reports
Visiter's Status
Visiter No. 32878858Saying...........
One man plus courage is a majority.
Tweets by cotton_yarn