कपास को प्रति क्विंटल 900 रुपये का घाटा, मोदी सरकार की गारंटी कहां है: वडेट्टीवार

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February 12, 2024 चंद्रपुर. कपास के लिए 7,200 रुपयों का समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया गया था. खुले बाजार में मात्र 6,300 रुपये भाव मिल रहा है. समर्थन मूल्य से लगभग 900 कम है. ऐसे में समर्थन भाव कैसे मिलेगा. कपास पणन महासंघ ने अब तक केन्द्र नहीं खोले है. सीसीआई के गिनती के केन्द्र है. किसान  केन्द्रों पर जाते है तो उन्हें नियमों और शर्तों की सूची दिखाई जाती है.कपास कहां बेचें यह प्रश्न किसानों के समक्ष है. इस व्यवस्था से त्रस्त वर्धा के किसान ने गाड़ी में भरे कपास को आग लगा दी. उत्पादन खर्च से डेढ़ गुना अधिक समर्थन मूल्य मोदी सरकार की गारंटी कहां है, ऐसा सवाल विपक्ष के नेता विधायक विजय वडेट्टीवार ने किया है. उन्होंने कहा कि सफेद सोने के उत्पादन के रूप में विदर्भ की पहचान है. डेढ़ से दो वर्ष पूर्व कपास को 14 हजार रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला. अधिक भाव मिलने की आशा में किसानों ने इस वर्ष अधिक प्रमाण में कपास उगाया.पिछले वर्ष दाम गिरने से अनेक लोगों ने घरों में कपास को संकलित करके रखा. भाव मिलने के आशा में दूसरा मौसम समाप्ति पर है. पर 14 हजार तो दूर समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंत्रिमंडल बैठक में समर्थन मूल्य से कम दर से कपास खरीदी करने वाले व्यापारियों पर मामले दर्ज करने के निर्देश दिए थे. किसानों को समर्थन मूल्य ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की. बाजार में 7,200 रुपये का भाव देना संभव नहीं, ऐसा व्यापारियों का कहना है. किसानों से लिया जा रहा शपथपत्रकल को किसान शिकायत करे तो मामला दर्ज हो सकता है. इसलिए व्यापारियों ने यह युक्ति निकाली है. कपास बिक्री के लिए आने वाले किसान से शपथपत्र भरकर लिया जा रहा है. कम दर से कपास स्वयं इच्छा से बेच रहा हूं, ऐसा शपथपत्र लिया जा रहा है. व्यापारियों ने यदि कपास नहीं खरीदा तो बेचे किसे यह प्रश्न है. इसलिए किसान मजबूर होकर शपथ पत्र लिख कर दे रहे हैं. सरकार किसानों को आधार देने के लिए कपास पणन महासंघ के केद्र तत्काल शुरू करें, 7,200 रूपये प्रति क्विंटल के समर्थन भाव से कपास खरीदी करें. खरीदी किए गए कपास का चेक तत्काल दे, सीसीआई की जटिल शर्ते रद्द करने की मांग वडेट्टीवार ने की है.


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